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जिला
कांगड़ा जिले मे तीन प्राकृतिक झीले हैं , दल झील जो धर्मशाला से 11 km है , कारेरी झील; जो स्मुद्र ताल से 3048 m की उँचाई पर स्थित है जो धर्मशाला से 35 km है व माछियल झील!
जिला कांगड़ा की एक मात्र्त्र मानव निर्मित झील पॉंग झिूल है!
माछियल झील :- अपने प्राकृतिक सोन्द्रय के लिए विख्यात हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहलाने का गौरव प्रार्त है! यहाँ पर पग- पग पर धार्मिक स्थल एवम् देवी-देवताओं के मंदिर हैं!
जिला कांगड़ा के ममूटा गाँव मे स्थित माचियल झील लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र है! नगरोटा बागवाँ से मात्र 2 km की दूरी पर जौगाल खड्ड मे स्थित प्राकृतिक माचियल झील के एक और माँ संतोषी का मंदिर है तो दूसरी और प्राचीन माछिद्र महादेव का मंदिर प्रयटकों को आकर्षित करता है! ऐसी मान्यता है की यह भूमि माचिन्द्र नाथ की तपो स्थली रही है! जिस स्थान पर बैठ कर उन्होने ताप्यासा की थी, उसी स्थान पर माचिन्द्र महादेव के मंदिर की स्थापना हुई है! मंदिर के साथ की पवित्र माछियल झील है,जिसमे प्राचीन समय से ही भारी संख्या मे बड़ी-बड़ी मछलियाँ रहती हैं!,
जनश्रुति के अनुसार प्राचीन समय मे लोगो को विवाह पर वर्तन की आवस्यकता होती तो लोग रात मे झील मे पूजा करते और वर्त्नो की माँग करते और उन्हे उतने ही वर्तन प्रापत हो जाते थे ! बाद म लोग उन वर्तनो का उपयोग करने के बाद उनको रात को झील मे रखते तो वो वर्तन अदृश्य हो जाते थे आज भी इस झील मे मछलियों की पूजा अर्चना करंहे दूर -दूर से लोग आते हैं!
कांगड़ा जिले मे तीन प्राकृतिक झीले हैं , दल झील जो धर्मशाला से 11 km है , कारेरी झील; जो स्मुद्र ताल से 3048 m की उँचाई पर स्थित है जो धर्मशाला से 35 km है व माछियल झील!
जिला कांगड़ा की एक मात्र्त्र मानव निर्मित झील पॉंग झिूल है!
माछियल झील :- अपने प्राकृतिक सोन्द्रय के लिए विख्यात हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहलाने का गौरव प्रार्त है! यहाँ पर पग- पग पर धार्मिक स्थल एवम् देवी-देवताओं के मंदिर हैं!
जिला कांगड़ा के ममूटा गाँव मे स्थित माचियल झील लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र है! नगरोटा बागवाँ से मात्र 2 km की दूरी पर जौगाल खड्ड मे स्थित प्राकृतिक माचियल झील के एक और माँ संतोषी का मंदिर है तो दूसरी और प्राचीन माछिद्र महादेव का मंदिर प्रयटकों को आकर्षित करता है! ऐसी मान्यता है की यह भूमि माचिन्द्र नाथ की तपो स्थली रही है! जिस स्थान पर बैठ कर उन्होने ताप्यासा की थी, उसी स्थान पर माचिन्द्र महादेव के मंदिर की स्थापना हुई है! मंदिर के साथ की पवित्र माछियल झील है,जिसमे प्राचीन समय से ही भारी संख्या मे बड़ी-बड़ी मछलियाँ रहती हैं!,
जनश्रुति के अनुसार प्राचीन समय मे लोगो को विवाह पर वर्तन की आवस्यकता होती तो लोग रात मे झील मे पूजा करते और वर्त्नो की माँग करते और उन्हे उतने ही वर्तन प्रापत हो जाते थे ! बाद म लोग उन वर्तनो का उपयोग करने के बाद उनको रात को झील मे रखते तो वो वर्तन अदृश्य हो जाते थे आज भी इस झील मे मछलियों की पूजा अर्चना करंहे दूर -दूर से लोग आते हैं!
Distrst
In Kangra district there are three natural flora, Dal Lake which is 11 km from Dharamsala, Lake Karari; It is situated at a height of 3048 m from the Mound, which is 35 km from Dharamsala and Machial lake!
Only one of the district Kangra is Man-Made Lake Pong Jhul!
Machial Lake: - The glorious name of Himachal Pradesh, known for its natural beauty, is called as Deoband! Here are the temples of gods and goddesses on religious places.
Machial Lake situated in Mamuta village of Kangra district is the center of religious faith of the people! Just another 2 km away from Nagrota Baghban, there is another temple of Santoshi of the Natural Machial Lake in Jogal Khad, and the temple of the second and ancient Machhindra Mahadev attracts people! It is believed that the land of Maanchindra Nath has remained a place of worship! At that place, the temple of Machchandra Mahadev has been established at the place where he was satisfied.
The Holy Mosquit lake along with the temple, in which there are large numbers of big fish from ancient times!According to Janushuti, in the ancient times, if people had the need of behavior on marriage, then people worshiped in the lake at night and demanded Vernon and used to get the same behavior as they were!Later, after using those behaviors, they used to keep them in the lake, they used to disappear in the lake. Even today, worshiping the fish in this lake is worshiped away. People come from far away!
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